मुझे मत कहिये की मैं कल चला जाऊंगा
क्यूंकि मैं आज भी आता हू
ज़रा ध्यान से देखिये,
मैं हर क्षण एक पौधे से जन्म लेकर टहनी पर दिखता हू,
मैं हर क्षण एक छोटे से पक्षी की तरह पंब्ख् फैलाता हू,
और अपने नए घोसले में गाना गाता हू,
मैं हर क्षण एक भवरे की भांति फूलो के दिलो को छूता हू,
मैं हर क्षण एक हीरे की भांति किसी पत्थर मैं दिखता हू,
मुझे मत कहिये की मैं कल चला जाऊंगा
क्यूंकि मैं आज भी आता हू.
मैं हर क्षण आता हू, हँसाने और रूलाने,
मैं हर क्षण आता हू, डरने और उमंग जगाने,
मेरे दिल की धड़कन मैं जो सुर है, उसी से मेरा जन्म हुआ है,
उसी से मेरी मृत्यु हुई है और उसी से मैं जीवंत हू,
मुझे मत कहिये की मैं कल चला जाऊंगा
क्यूंकि मैं आज भी आता हू.
मैं एक मेंढक हू,जो ख़ुशी से पानी मैं तैरता है,
और मैं एक साँप भी हू जो एकांत मेँ उसी मेंढक का भक्षण करता हू,
मेँ यूगांडा मेँ रहने वाला एक बच्चा हू,
मेरी त्वचा और हड्डिया है , मेरे पैर बैम्बू की लकड़ी की भांति लम्बे और पतले है,
और मैं हथियारों का सौदागर हू, मेरे कंधे यूगांडा मेँ आतंकी हथियार बेचते है,
मुझे मत कहिये की मैं कल चला जाऊंगा
क्यूंकि मैं आज भी आता हू.
मेँ १२ साल की एक लड़की, एक कश्ती मेँ शरणार्थी हू,
जो समुद्री डाकू के बलात्कार से अपने आपको को समंदर मेँ फ़ेंक देती हू,
और मेँ एक समुद्री डाकू हू,जिसका ह्रदय प्यार को देखने की क्षमता नहीं रखता.
मुझे मत कहिये की मैं कल चला जाऊंगा
क्यूंकि मैं आज भी आता हू.
मेरी ख़ुशी एक बसंत ऋतू की तरह है,
जो फूलो को अपने स्पर्श से प्रफुल्लित करती है,
मेरा दुःख एक नदी मेँ आंसुओ की भांति है,
जो अपने आपको चारो समंदर मेँ पूरा खली केर देता है,
ताकि वो भर जाये
मुझे मत कहिये की मैं कल चला जाऊंगा
क्यूंकि मैं आज भी आता हू॥
मुझे मेरे असली नाम से बुलाइये,जिससे मेँ आपके दर्द को सुन सकू,
मुझे मेरे असली नाम से बुलाइये जिससे मेँ आपके ख़ुशी को देख सकू
मुझे मेरे असली नाम से बुलाइये ताकि मेँ उठ सकू,
मुझे मेरे असली नाम से बुलाइये ताकि मेँ दिल के दरवाज़े खोल सकू,
और हमदर्दी का हाथ बढ़ा सकू॥
मुझे मत कहिये की मैं कल चला जाऊंगा
क्यूंकि मैं आज भी आता हू॥
पल्लवी गांधालीकर (हिंदी मेँ )
कवि (थिच नहत हन्ह) वियतनाम
Picture Courtesy: Kolitha Dissanayaka
It is a fantastic poem.Thanks for sharing.
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thnks Ankush Jagdale. (Sir)
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Stunning poem. thanks a lot for sharing.
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Thanks a lot Subhash. Its by a Vietnamese Poet on Peace and Compassion and the world around us.
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Thnks Subhash.
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This is a fantastic, heart touching poem. Loved reading it and thanks for sharing my dear daughter.
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Pingback: मुझे मेरे असली नाम से बुलाइये – travelsconsequential
To bring diffrent people from diffrent countries,and play for peace,unity.
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And yes to help everyone connect to the universal needs of love, compassion and peace.
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Tabish indeed
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